Kavita Jha

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पत्नी का घर में राज #लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता -02-Sep-2023

पत्नी का घर में राज (कृपाण घनाक्षरी)

सज धज कर नारी , पहन गुलाबी साड़ी।
कह कह कर हारी, घूमाने चलिए आज।।
करके वो आंखें बड़ी, लिए हाथ चाय खड़ी।
 सारी इच्छा रही धड़ी, करती हूं सारे काज।।
थक जाती दिन भर, एक दिन घुमा कर।
 इच्छा हो पूरी अगर, मांगू नहीं कोई ताज।।

फटेहाल पति बोला, तूने कैसे मुंह खोला।
तेरा मन कैसे डोला, क्या बोलेगा ये समाज।।
पत्नी देखो कैसी मोटी, इसकी नियत खोटी।
पति को न देती रोटी,आती नहीं इसे लाज।।
घमासान युद्ध मचा, लीला ये प्रभु ने रचा।
इससे न कोई बचा, पत्नी का घर में राज।।
***
कविता झा'काव्य'अविका
रांची झारखंड 
#लेखनी
# लेखनी दैनिक काव्य प्रतियोगिता 

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1 Comments

Rubeena siddiqui

02-Sep-2023 06:34 AM

✍️✍️👏👏👏

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